ग़ज़ल
नज़र मिली ना हुआ उनसे
रूबरू अबतक
मैं उनको देख लूँ
है दिल की आरज़ू अबतक
निगाहे इश्क़ से देखो
तुम्हें नज़र आये
शफ़क़ तराज़ है शब्बीर का
लहू अबतक
नया लिबास सिलाया
है हम ने फिर कियूंकर ?
दिखाई तुम को ही देता
है वो रफू अबतक ?
वो जिन को हम ने बताया
था दोस्ती किया है
वही बने हैं मरी जॉन
के अदु अबतक
में भूल सकता नहीं
हाल ज़ख़्मी बर्मा का
वहाँ महकता है मोमिन!
तेरा लहू अबतक
खुद ने मेरे नबी को
वो रफअतें बख्शी
अज़ल की सुबह से है
उनकी गुफ्तगू अबतक
जवानी बीत गयी नज़द
है बुढ़ापा पर
नमाज़ ठीक है तेरी, ना ही वज़ू अबतक
बड़ा महाल है दुनिया
में अब तो रहना नूर
बड़े जतन से बचाई
है आबरू अब तक
नून मीम - नूर मुहम्मद
इब्ने बशीर
"I'm grateful to mlwbd.com.in for keeping its platform clutter-free and easy to navigate. It's a joy to use."
ReplyDelete"Klwap.com.in, your commitment to providing the best movie-watching experience is unmatched."
ReplyDelete